वाराणसी, जून 22 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। सूतक काल में मोरारी बापू के कथावाचन पर उपजे विवाद में ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी कूद पड़े हैं। शनिवार को एक बयान जारी कर शंकराचार्य ने मोरारी बापू के उपदेशों और कथा को 'अप्रामाणिक घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि आमजनता उन्हें न सुने और उनकी उपेक्षा करे। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि जब तक मोरारी बापू धर्ममर्यादा में स्थित नहीं हो जाते, तब तक वह उनका चेहरा भी नहीं देखेंगे। शंकराचार्य ने कहा कि धर्म के मामलों में आचार्य को दण्ड देने का भी अधिकार है। मठाम्नाय महानुशासन में लिखा है कि आचार्य से दण्ड भोग कर पापी मनुष्य भी पुण्यात्मा जन की तरह निर्मल हो जाता है। सबसे बड़ा दंड जो आचार्य देते रहे हैं, वह है समाज से तब तक के लिए बहिष्कार जब तक कि संबंधित व्यक्ति प्रायश्चित्त ...