घाटशिला, अगस्त 11 -- धालभूमगढ़। झारखंड में मोबाइल वेटरनरी यूनिट के चालक एवं पाराभेंट कर्मी के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में किए गए अनिश्चित कालीन हड़ताल का असर अब दिखने लगा है। सरकार एवं पशु चिकित्सा विभाग दोनों ही चैन की निंद सो रहे हैं । पशुपालक और जानवर कष्ट से मर रहे हैं । इस हड़ताल का खामियाजा ग्रामीण और शहरी पशुपालक को मिल रही है। प्रखंड में धालभूमगढ़ मोबाइल वेटरनरी यूनिट 1962 के पाराभेट सुनीता मोहंती ने कहा कि प्रतिदिन प्रखंड के पानी जिया, जुगीशोल, राउतारा ,बालिगुमा जैसे कई गांव से पशुपालकों द्वारा दूरभाष पर संपर्क किया जा रहा है । अपने पशुओं की बिमारी के संबंध में जानकारी दी जा रही है । आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण निजी चिकित्सकों से हुए सहायता भी नहीं ले पा रहे हैं और अपनी आंखों के सामने अपने मवेशियों की बिगड़ती हुई स्थिति...
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