अंबेडकर नगर, अगस्त 19 -- अम्बेडकरनगर। फोटो निकालना एक कला है। कभी फोटो निकलवाने के लिए विशेषज्ञ को बुलाया जाता था। हर बाजार में स्टूडियो और कोर्ट कचहरी के आसपास झटपट फोटो वाले होते थे। अब ऐसा नहीं है। अब हर कोई फोटो निकालने में माहिर हो चला। अब मोबाइल से सभी हर जगह खुद फोटो निकाल ले रहे हैं। मोबाइल युग के आते ही धीरे धीरे कई जीवन में विशेष महत्व रखने वाले साधन और सामान खत्म होने लगे। लोग हाथ घड़ी पहनना कम करने लगे। हाथ टार्च रखने से तौबा करने लगे। पीसीओ युग तो समाप्त ही हो गया है। बाजारों में स्टूडियो भी गिनती के रह गए हैं। वे भी केवल इवेंट के फोटो निकालने के लिए याद किए जाते हैं। कोर्ट कचेहरी के आस पास झटपट फोटो वाले भी रोबोट जैसे डिब्बा लिए खड़े अब नहीं दिखते हैं। कारण इन सभी का स्थान लोगों के हाथों में पहुंच चुके मोबाइल ने ले लिया है। अब...