नई दिल्ली, अगस्त 16 -- नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों ने स्वतंत्रता दिवस के पारंपरिक संबोधन को नया रूप दिया है। जहां पहले के भाषण संक्षिप्त और औपचारिकता तक सीमित रहते थे, वहीं मोदी ने इन्हें सरकार के रिपोर्ट कार्ड, भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा और जनता की ताकत को सलाम करने का मंच बना दिया। मोदी के भाषणों की औसत अवधि 75 से 90 मिनट रही है, जो अब तक के प्रधानमंत्रियों में सबसे लंबी है। वे हर साल योजनाओं का विस्तार से जिक्र करते हैं और अगले वर्ष उसी मंच से उनकी प्रगति का लेखा-जोखा भी पेश करते हैं। इस तरह जनता को स्वतंत्रता दिवस पर एक तरह की वार्षिक रिपोर्ट मिलती है। मोदी के संबोधनों की खासियत जनता के संघर्ष और संकल्प की सराहना है। 2019 में उन्होंने कहा था, 'गरीब भाई-बहन विपरीत हालात से...