मोतिहारी, अप्रैल 17 -- मोतिहारी ने खेल जगत में एक अच्छा सफर तय किया है। वह सफर और शानदार हो सकता था, लेकिन किसी ने यहां के खेल मैदानों के विकास पर ध्यान तक नहीं दिया। साल 1980 से 1990 तक यहां फुटबॉल का जबर्दस्त क्रेज था। यहां के खिलाड़ियों ने बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल के खेल में डंका बजाया। खेल प्रतियोगिताओं को लेकर सुर्खियों में रहनेवाले शहर के विभन्नि खेल मैदान वर्तमान में खिलाड़ियों के पैरों की आहट सुनने को तरस रहे हैं। खेल मैदानों की उपेक्षा से खिलाड़ी अभ्यास को भटक रहे हैं। फुटबॉल खिलाड़ियों को सरकारी मदद की दरकार है। खिलाड़ियों को किसी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिलती है। खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं : स्पोर्ट्स क्लब व जिला फुटबॉल संघ के सचिव प्रभाकर जायसवाल, सीनियर खिलाड़ी मो. राशिद, साजन कुमार, रवि कुमार, जमील अख्तर आ...
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