नई दिल्ली, जुलाई 7 -- भीलवाड़ा में मामूली बात को लेकर दो पक्षों में कहा सुनी हुई जिसमें एक दिव्यांग युवक की मौत हो गई। ये बात सीताराम की अपनी बहन मैना से आखिरी बातचीत थी। उस समय किसी को अंदाजा नहीं था कि ये शब्द ही उसके जीवन की अंतिम लाइन बन जाएंगे। टोंक का रहने वाला 30 वर्षीय दिव्यांग युवक, सीताराम, जो परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लिए हर दिन संघर्ष करता था, 4 जुलाई की शाम को भीलवाड़ा के जहाजपुर कस्बे में भीड़ की बेरहमी का शिकार हो गया। यात्रा जो मौत बन गई सीताराम अपने तीन दोस्तों-सिकंदर, दिलखुश और दीपक के साथ एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जहाजपुर गया था। रास्ते में सब सामान्य था, लेकिन किसे पता था कि लौटते वक्त वो चारों में से सिर्फ तीन लौटेंगे। शाम 6 बजे भंवर कला गेट के पास उनकी कार एक ठेले से हल्के से टकरा गई। इससे...
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