नई दिल्ली, नवम्बर 26 -- भारत के पूर्व सीजेआई बी.आर. गवई ने कहा कि उन पर कभी भी कार्यपालिका या राजनीतिक नेताओं के दबाव का सामना नहीं करना पड़ा। और जज की नियुक्ति का कोलेजियम प्रणाली पारदर्शी है, और यह आरोप निराधार है कि यह प्रणाली अपारदर्शी है। एक साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य न्यायाधीशों और सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए निश्चित कार्यकाल होना जरूरी नहीं है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर दृढ़ता से जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत का संविधान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के स्पष्ट बंटवारे पर टिका है। एक सवाल के जवाब में पूर्व सीजेआई ने राज्य अधिकारियों द्वारा आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई की तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे कार्यपालिका द्वारा कोर्ट की तरह काम करने और बिना किसी उचित प्रक्रिया के सामूहिक दं...