नई दिल्ली, नवम्बर 20 -- नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि चलने-फिरने में अक्षम और सुनने में अक्षम लोगों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत अक्षम लोगों के बीच भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है। पीठ ने यह बात केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा बनाई गई मेडल विजेताओं के लिए कैश अवॉर्ड की योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। इस योजना के तहत मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड, 2025 के लिए आवेदन मंगाए गए थे। इसमें मूक-बधिर खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया गया था। अब पीठ ने खेल मंत्रालय को निर्देश दिया है कि इनके भी आवेदन स्वीकार किए जाए। इस योजना में पैरालिंपिक में मेडल जीतने वालों से आवेदन मंगाए गए, लेकिन मूक-बधिर खि...