सासाराम, सितम्बर 5 -- सूर्यपुरा, एक संवाददाता। समाज की गिरती नैतिकता व नई पीढ़ी की गुमराह होती राहें मर्यादा की हर सीमा को तोड़ने को आतुर है। इसका मुख्य कारण समाज की युवा पीढ़ी मे अशिक्षा का समावेश व शिष्टाचार का गिरता स्तर है। 100 के करीब उम्र को पार कर चुके रामाशीष सिंह, 85 वर्षीय रूपन सिंह, गोपाल सिंह, रामाश्रय सिंह आदि ने बताया कि एक जमाना था जब हम छोटे थे तब गुरुकुल की परम्परा थी। हम सभी एक जगह पेड़ की छांव में बैठकर पढ़ाई करते थे। कुर्सी से टिकी गुरु जी की छड़ी अपने होने का हर एक छात्रों को एहसास कराती रहती थी। उन दिनों जब कोई सबक याद नही होता था तब डर बना रहता था कि आज तो गुरुजी का दंडा जरूर पड़ेगा। क्लास छोड़ नही सकते थे कारण कि जब घर मे पता चलता कि हम क्लास छोड़कर बाहर थे तब घर मे भी मार पड़ती थी। ऐसे मे गुरूजी का दंडा बैठने, खड़ा होने से ल...