मुजफ्फरपुर, दिसम्बर 12 -- मुजफ्फरपुर में परीक्षाओं में हो रहे फर्जीवाड़े के मामलों में पुलिस उनकी जड़ यानी 'बैकवर्ड लिंक' तक नहीं पहुंच पा रही है, जिससे बड़े सॉल्वर रैकेट का पर्दाफाश नहीं हो पा रहा है। विभिन्न थानों में सॉल्वर गैंग के खिलाफ आधा दर्जन मामले दर्ज होने के बावजूद, पुलिस सिर्फ गिरफ्तार किए गए आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल करके केस की फाइलें लंबित मामलों के बंडल में डाल देती है। एक प्रमुख उदाहरण मिठनपुरा के मालीघाट स्थित डीएवी सेंटर का है, जहां नीट परीक्षा में सॉल्वर गैंग ने प्रयागराज के राज पांडेय की जगह राजस्थान के जोधपुर एम्स के तृतीय वर्ष के छात्र हुक्मा राम को फर्जी परीक्षार्थी बनाकर बैठाया था। शक होने पर हुक्मा को पकड़ा गया और उसने पैसे लेकर परीक्षा देने की बात कबूल की, लेकिन कबूलनामे के बावजूद उसे परीक्षा केंद्र से भगा दिया...