नई दिल्ली, मार्च 8 -- नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता जब हम पश्चिमी नारीवाद की बात करते हैं, तो यह मुख्य रूप से महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई रही है। वहां महिलाओं को मतदान का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार, और शिक्षा पाने का अधिकार तक नहीं मिला था। उक्त बातें डीयू के कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग और महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र की निदेशक प्रो. पायल मागो ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि अगर वे नौकरी करती थीं, तो समान कार्य के लिए पुरुषों को अधिक वेतन दिया जाता था जबकि महिलाओं को कम मिलता था। महिलाओं के नाम पर संपत्ति और धन का हस्तांतरण नहीं होता था। लेकिन भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह स्थितियां कभी नहीं रहीं। भारत में प्राचीन काल से ही महिलाओं को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त था। प्रो. पायल मागो ने बताया...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.