वाराणसी, सितम्बर 28 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। दुनिया की आबादी 800 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। मीठे पानी के स्रोत सीमित हैं। यह दूषित हुआ तो मानवता पर संकट आ जाएगा। ऐसे में मीठे पानी की रक्षा इस समय मानवता की रक्षा जितना बड़ा धर्म है। ऐसे में प्रतिमाओं के विसर्जन की परंपरा को नदियों और पौराणिक कुंडों की जगह कृत्रिम सरोवरों में जारी रखना किसी भी दृष्टि से अनुचित नहीं है। आईआईटी बीएचयू के वरिष्ठ प्रोफेसर और एकेटीयू सहित कई विश्वविद्यालयों के कुलपति रह चुके प्रो. पीके मिश्रा ने 'हिन्दुस्तान से बातचीत में यह विचार रखे। प्रो. मिश्रा ने एक अध्ययन के हवाले से बताया कि दुनिया में बचा हुआ कुल सतह का मीठा पानी बेहद कम है। इसे एक गोले का आकार दिया जाए तो इस गोले का व्यास कुल 52-53 किलोमीटर होगा। यहां सतह के पानी से अर्थ नदियों और कुंडों से मिलने ...