कुशीनगर, जून 25 -- कुशीनगर, वरिष्ठ संवाददाता। इमरजेंसी के दौरान पुलिस की कार्रवाई जिले के मिथिलेश्वर पांडेय व नरेन्द्र वर्मा को जीवन भर का दर्द दे गयी। हाटा ब्लॉक के परसाखाड़ निवासी मिथिलेश्वर पांडेय के जेल जाने के बाद रोते उनकी दादी का आंख चली गयी। उन्होंने ऐसा बिस्तर पकड़ा कि फिर उठी ही नहीं। घर पर दादी के सिवा केवल माता जी ही थी। पडरौना शहर के निवासी नरेन्द्र वर्मा के पिता को पुलिस ने जब गिरफ्तार किया तो उनके पिता कैंसर पीड़ित थे। पिता के इलाज की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। यह बात प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा तक पहुंचाने में चार महीने लग गए। इसके बाद वर्मा जेल से रिहा हुए मगर इसके दो तीन महीने बाद ही पिता की मौत हो गयी और पूरे परिवार की जिमेदारी नरेन्द्र पर आ गयी। इमरजेंसी का दर्द याद कर छलक उठ़ी मिथिलेश्वर की आंखें ...
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