मधुबनी, अक्टूबर 29 -- मधेपुर, निज संवाददाता। मिथिला की संस्कृति की सानी नहीं है। मिथिला अपनी लोक संस्कृति, पर्व-त्योहार एवं पुनीत परंपरा के लिए प्रसिद्ध रहा है। इसी कड़ी में भाई-बहन के असीम स्नेह का प्रतीक लोक आस्था का पर्व सामा-चकेवा है। मिथिलांचल की प्रसिद्ध संस्कृति व कला का एक अंग है सामा-चकेवा उत्सव। लोक आस्था का महापर्व छठ समाप्त होने के साथ ही भाई-बहनों के अटूट स्नेह व प्रेम का प्रतीक सामा-चकेवा पर्व की शुरुआत हो चुकी है। सामा-चकेवा की मूर्ति निर्माण में बालिका व नवयुवती तन्मयता से लग गई है। ग्रामीण क्षेत्रों का चप्पा-चप्पा सामा-चकेवा की गीतों से अनुगूंजित है। मिथिला में भाईयों के कल्याण के लिए बहना यह पर्व मनाती है। इस पर्व की चर्चा पुराणों में भी है। सामा-चकेवा पर्व की समाप्ति कार्तिक पूर्णिमा के दिन होगी। इस पर्व के दौरान बहनें स...