मधुबनी, सितम्बर 28 -- मधेपुर। साधना, उपासना व पूजा-अर्चना का महापर्व है शारदीय नवरात्र। आदिशक्ति देवी दुर्गे के पूजन की परंपरा भी मिथिला में अनोखा है। बिहार का मिथिला एवं बंगाल का कोलकाता अपनी पूजन पद्धति के लिए प्रसिद्ध है। कोलकाता का दुर्गापूजा भव्य पंडाल एवं विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, विगत ढाई-तीन दशक से मिथिला में भी बड़ा पूजा पंडाल बनाना शुरू कर दिया गया है। लेकिन, अभी भी मिथिला में दुर्गा पूजा में बेलन्योती की विधि-विधान व परम्परा देखते ही बनता है। बेलन्योती 28 सितंबर रविवार को है। बेलन्योती की तैयारी पूजा समिति द्वारा शुरू कर दी गयी है। षष्ठी तिथि में देवी के कात्यायनी रूप में बेलन्योती की जाती है। संस्कृत साहित्य के विद्वान पंडित रमण जी झा ने बताया कि बेलन्योती में पूजा स्थलों से शुभ मुहूर्त में घड़ी घंट व शंख की सुम...