संतकबीरनगर, मार्च 20 -- हिन्दुस्तान टीम,संतकबीरनगर। माह-ए-रमजान में रोजा रखना इबादत है। इबादत के साथ धार्मिक व समाजिकता के साथ बेहतर स्वास्थ्य व अनुशासन का भी संदेश देता है। रोजा ही भूखे व प्यासे के दर्द का एहसास दिलाता है। 13 घंटे भूखे रहने से कई बिमारियों से छुटकारा मिलता है। माह-ए-रमजान बेहतर स्वास्थ्य, सब्र व अनुशासन की सीख देता है। सामाजिक बुराइयों से रोकता है। मानवता की भावना को विकसित करता है। सेमरियावां स्थित मदनी मस्जिद के इमाम हाफिज व कारी नसीरुद्दीन ने कहा कि इस्लाम धर्म में हर कार्य मानवता को संदेश देता है। दुनिया में बहुत से धनवानों को भूख व प्यास के दर्द का एहसास नही होता है। मगर रमजान में रोजा रखने से भूख व प्यास का एहसास होता है। रमजान में अमीर व गरीब दोनों को भूख व प्यास की तकलीफ से गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि जब इं...