नई दिल्ली। हिन्दुस्तान, मार्च 1 -- दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने शुक्रवार को वर्ष 2019 में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी व्यक्ति समाज के लिए खतरा है। अदालत ने उसके अपराध को दुर्लभतम श्रेणी में रखा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया की अदालत ने मुख्य दोषी राजेंद्र के पिता राम सरन को भी अपने बेटे के बुरे कृत्यों के सबूत मिटाने के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि राजेंद्र में सुधार की कोई संभावना नहीं है। उसे समाज से दूर रखना ही उचित है। अदालत ने राजेंद्र को पॉक्सो एक्ट और आईपीसी के प्रावधानों के तहत सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि कानून उच्च न्यायालयों द्वारा मृत्युदंड के लिए निर्धारित सभी पैमानों पालन कर रहा है। राजेंद्र और उसके पिता को...