खगडि़या, मार्च 24 -- बेलदौर, एक संवाददाता। माया ना तो बुरी होती है और ना ही अच्छी। यह बातें स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने दो दिवसीय सत्संग के अंतिम दिन रविवार को सत्संग में भक्तजनों को देते हुए कही। कोसी उच्च विद्यालय पनसलवा के खेल मैदान में आयोजित सत्संग के अंतिम दिन सत्संग प्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ी। सत्संग के दूसरे दिन स्वामी व्यासानंद जी महाराज ने माया के विस्तृत रूप को परिभाषित करते हुए कहा कि जहां तक मन और इंद्रियों की पहुंच हो सकती है, जो भी वस्तु मन और इंद्रियों के अनुभव में आती है, उसे माया कहते हैं। श्री राम के अनुसार जो भी वस्तु हमारे मन, दृष्टि, श्रवण, स्पर्श, गंध और विचार की सीमा में आती है, वह सब माया का ही रूप है, यह माया अस्थाई परिवर्तनशील और नाशवान है। माया का सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि वह हमें हमारे असली स्वरूप से विमुख कर द...