दरभंगा, अगस्त 20 -- दरभंगा। मिथिला दर्शन, यज्ञ, ज्ञान-विज्ञान, स्त्री-शिक्षा तथा ऋषियों की असाधारण बैकुंठ सदृश्य भूमि है। चार आस्तिक दर्शनों के उद्भव के साथ ही छह दर्शन यहीं पल्लवित एवं पुष्पित हुईं। इसे मायानगरी भी कहा जाता है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी दर्शनशास्त्र विभाग में मंगलवार को भारतीय दर्शन में पंडित अयाची मिश्र का योगदान विषयक सिंपोजियम में मुख्य वक्ता डॉ. धीरेंद्र कुमार पांडे ने ये बातें कही। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के दर्शन विभाग के प्राध्यापक डॉ. पांडे ने पंडित अयाची मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय दर्शन विचारों एवं तर्कों का शास्त्र है जो मुक्ति का मार्ग दिखता है। मिथि के नाम पर बना मिथिला में छह शत्रुओं का मर्दन होता है। मिथिला में निवास करने मात्र से ही जीवन मुक्त...