रांची, अक्टूबर 24 -- रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि काम में लापरवाही, प्रक्रियात्मक गलती या अधीनस्थ कर्मचारियों से सख्ती जैसे आरोपों के लिए किसी कर्मचारी को बर्खास्त करना बहुत कठोर सजा है। जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने सेवा की सबसे बड़ी सजा बतायी और राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा। यह मामला मीना कुमारी राय से जुड़ा है, जो 1988 से बिहार शिक्षा सेवा में कार्यरत थीं और राज्य पुनर्गठन के बाद झारखंड कैडर में आ गईं। पलामू में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) के रूप में काम करते हुए उन पर आरोप लगे कि उन्होंने काम में लापरवाही की, अधीनस्थों का वेतन रोका और सरकारी आदेशों का पालन ठीक से नहीं किया। जांच में कुछ आरोप सही पाए गए, जिसके बाद विभाग न...