नई दिल्ली, सितम्बर 19 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मौखिक टिप्पणी की कि ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ पोस्ट हटा देने या माफी मांग लेने से छात्रा के खिलाफ मामला रद्द नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि आरोपी एक 'मेधावी छात्रा है और उसने अपनी परीक्षाएं 'अच्छे अंकों से पास की हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द की जा सकती है। अदालत पुणे की एक कॉलेज छात्रा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। लड़की के वकील ने दलील दी कि पोस्ट के पीछे उसकी कोई बुरी मंशा नहीं थी और उसने तुरंत उसे हटा दिया और माफी मांग ली। हालांकि, अदालत ने कहा कि (पोस्ट को) हटाने से मामला और भी जटिल और गंभीर हो जाता है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद तय की और सरकारी वकील...