बलरामपुर, मई 5 -- बलरामपुर, संवाददाता। एक तरफ नीति आयोग आकांक्षात्मक जिला होने के कारण शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने का नया-नया प्रयोग कर रहा है ताकि बच्चों को अच्छी बुनियादी शिक्षा मिल सके। वहीं दूसरी ओर नीति आयोग के सपने को बिना मान्यता के संचालित विद्यालय साकार करने में बाधक बने हुए हैं। बिना मान्यता के स्कूल संचालित कर निजी विद्यालय बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मान्यता को लेकर नए मानक जटिल होने से स्कूलों की मान्यता आसानी से नहीं हो पा रही है। ऐसे में बिना मान्यता के संचालित विद्यालय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बीते शैक्षिक सत्र में मानक पूर्ण न करने के कारण 55 स्कूलों की मान्यता के आवेदन हुए थे। इनमें से 34 आवेदन निरस्त कर दिए गए। निरस्त आवेदन वाले स्कूल बिना मान्यता के ही संचालित कर शिक्षा की दुकान चला रह...