विकासनगर, जून 27 -- श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर, तेलपूरा, अटक फार्म में चल रही राम कथा के दूसरे दिन गणेशानंद महाराज ने रामचरित मानस की व्याख्या करते हुए कहा कि मानस वही है जिसका चरित्र राम जैसा है। राम ने मर्यादा दिखाई और मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी कहलाए। कहा कि राम कथा से हमें जीना कैसा है, सिखाती है। मौत को कैसे सुधारना है हमें भागवत कथा सिखाती है। प्रसंग को आगे बढ़ते हुए कहा रामचरित मानस के सात कांड हैं। बालकांड, अयोध्या कांड, अरण्यकांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड। कहा कि तुलसीदास ने सबसे पहले सरस्वती को प्रणाम किया, तब गणेश जी को प्रणाम किया। वंदे वाणी विनायको कहा। जब बोलने की शक्ति होती है तभी प्रणाम किया जाता है। तभी वंदना की जाती है। मां पार्वती को श्रद्धा और भगवान शंकर को विश्वास स्वरूप बताया। सब देवों की वंदन...