प्रतापगढ़ - कुंडा, अप्रैल 5 -- कुंडा, संवाददाता। जन्म जन्मांतर का पुण्य उदय होने पर मानव शरीर मिलता है। जिसे व्यक्ति को सांसारिक आनंद पाने को नष्ट नहीं करना चाहिए। मानव जीवन का एक मात्र लक्ष्य और उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति ही होना चाहिए। यह सीख काजीपुर कुसेमर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य आनंदाश्रम ने दी। उन्होंने कहा कि शरीर क्षण भंगुर और असत्य है, सत्य केवल मृत्यु है। गृहस्थ का काम संभालते हुए भगवान के चरणों में ध्यान लगाए रखना ही भजन है। राधे-राधे गोविन्दा, गोविन्द राधे की मधुर संकीर्तन पर पूरा पंडाल गूंजता रहा। इस मौके पर जनसत्तादल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव डॉ.केएन ओझा, चेयरमैन पति शिवकुमार तिवारी, पवन कुमार ओझा, राम कृष्ण ओझा, रामरूप ओझा, कृष्ण कुमार आदि मौजूद रहे।

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