देहरादून, मई 15 -- दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से गुरुवार को लेखक और पत्रकार त्सेरिंग नामग्याल खोर्त्सा की पुस्तक लिटिल ल्हासा पर चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चाकार के तौर पर मानवविज्ञानी, मंजरी मेहता, लेखक एवं संगीतकार प्रशांत नवानी और बौद्ध विद्वान, नोरबू वांगचुक उपस्थित थे। पुस्तक के माध्यम से यह बात उभर कर आयी कि सत्तर साल से ज़्यादा निर्वासन में रहने के बाद तिब्बतियों की एक पूरी पीढ़ी घर से दूर एक ऐसी जगह पर बड़ी हुई है, जो उनकी मातृभूमि से दूर है। दलाई लामा और दूसरे महान गुरुओं के आध्यात्मिक मार्गदर्शन के साथ उनके अनुभव अनोखे रहे हैं, क्योंकि वैश्वीकरण के बावजूद उन्होंने अपने धर्म और संस्कृति को जीवित रखा है। त्सेरिंग नामग्याल खोर्त्सा ने बताया कि इस पुस्तक में समुदाय की विविध आवाजें जीवंत हुई हैं। धर्मशाला शहर का विशेष जिक्र ...