नई दिल्ली, सितम्बर 20 -- माता सती के अंग जिन स्थानों पर गिरे वो जगह शक्तिपीठ बोली गईं। और इन शक्तिपीठों पर आज भी पूजा-अर्चना की जाती है। लोगों के बीच इन मंदिरों के प्रति गहरी आस्था है। माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है देवास का मंदिर। जहां मान्यतानुसार देवी सती का कोई अंग नहीं बल्कि रक्त की दो बूंद गिरी थी। जिसकी वजह से इसे जागृत अवस्था में माना जाता है। रक्त की दो बूंद से बनीं दो देवियां तुलजा भवानी और चामुंडा देवी का स्वरूप मानी जाती हैं।दिनभर में तीन बार बदलती हैं स्वरूप इस मंदिर के पुजारी के मुताबिक देवी दिनभर में तीन रूप बदलती हैं। सुबह के समय बाल्यरूप में, दिन में युवा अवस्था में और रात में वृद्धावस्था में इनके दर्शन होते हैं।इस मंदिर की मूर्ति से जुड़ी है कहानी यहां के कुछ पुजारियों का कहना है कि दोनों देवियों के बीच बड़ी मां और छ...