जौनपुर, नवम्बर 10 -- खुटहन, हिंदुस्तान संवाद। क्षेत्र के उसरौली गांव में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा के दौरान शनिवार को कथा व्यास ऋचा मिश्रा ने कहा कि माता-पिता, गुरु और गोमाता के सेवक को किसी तीर्थ में जाने की आवश्यकता नहीं होती। संसार के सभी तीर्थ उसकी सेवा के आगे बौने हो जाते हैं। गो माता को कभी पशु मत मानो। वह भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकता और व्यावसायिक परिवेश में जहां भी गोमाता का अपमान हो रहा है वे सभी महापाप के भागीदार बन रहे हैं। गाय बूढ़ी हो जाने पर उसे बेसहारा छोड़ने वाले जिस कोख से जन्मे हैं उस मां बाप को भी कभी अपना नहीं समझेंगे। उन्होंने कहा कि मां पिता और गुरु धरती के प्रत्यक्ष देवता हैं। जो इन्हें नहीं पूज सका वह भगवान की क्या पूजा करेगा। ऐसे मानव को नर्क योनि में जाने से स्वयं ईश्वर भी न...
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