मुंगेर, सितम्बर 11 -- मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। पादुका दर्शन संन्यास पीठ में चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के दूसरे दिन बुधवार को स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने भगवान लक्ष्मीनारायण के विराट स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी नारायण यज्ञ केवल कर्मकांड नहीं, अपितु दिव्य सद्गुणों और आशीर्वादों का माध्यम है। स्वामीजी ने बताया कि नारायण समष्टि रूप में संपूर्ण सृष्टि के आत्म तत्त्व और जीवनी शक्ति के स्रोत हैं, जबकि व्यष्टि रूप में हर जीवित प्राणी में व्याप्त हैं। स्वामीजी ने विशेष रूप से मां लक्ष्मी के आठ दिव्य स्वरूपों की विस्तारपूर्वक व्याख्या की। स्वामीजी ने कहा कि आदि लक्ष्मी स्वरूप सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त आध्यात्मिक संपदा का प्रतीक है। संतोष लक्ष्मी जीवन में संतोष प्रदान करती हैं, धान्य लक्ष्मी अन्न-धान्य का संचार...