नवादा, जनवरी 29 -- नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। प्रभु श्रीराम की वामांगी जानकी की निर्वासन स्थली सीतामढ़ी वर्तमान उपेक्षा की शिकार है। अगाध श्रद्धा का केन्द्र सीतामढ़ी त्रेतायुग के विभिन्न अवशेष के कारण क्षेत्र का महात्म्य बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। तमाम साक्ष्य इसके पक्ष में दिख रहे हैं लेकिन इसके श्रीराम सर्किट के रूप में उन्नयन के साथ ही पर्यटकीय दृष्टिकोण से विकास का मामला पूरी तरह से ठंडे बस्ते में बंद पड़ा है। धार्मिक न्यास बोर्ड अध्यक्ष दिवंगत आचार्य किशोर कुणाल ने सीतामढ़ी को लेकर रुचि दिखाई थी लेकिन उनकी कोशिशों ने भी रंग नहीं लाया और सीतामढ़ी का भविष्य अंधकारमय ही रह गया। वनवास से वापसी के क्रम में रामराज्य के वाशिन्दे धोबी के लांछन पर माता सीता को श्रीराम द्वारा दिए गए निर्वासन के बाद नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड स्थित सीतामढ...
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