भागलपुर, जून 22 -- बरौनी-कटिहार रेलखंड के काढ़ागोला और सेमापुर के पास ट्रेन दुर्घटना में शुक्रवार को रेलकर्मी प्रमोद यादव की मौत के बाद सिर्फ एक फोनकॉल घर पर आने के बाद घर की खुशियां मातम में बदल गयी। घर के आंगन में बच्चों की खुशियां चीत्कार में तब्दील हो गयी। चारों ओर चीखने-चिल्लाने की आवाजें आने लगी। देखते ही देखते पूरे गांव में यह खबर फैल गयी और लोग बदहवास प्रमोद के घर की ओर आने लगे। प्रमोद संघर्ष करने वालों के लिए थे मिशाल पूरे गांव में प्रमोद अपने हंसमुख स्वभाव के कारण लोगों के बीच लोकप्रिय थे। अपने के संघर्ष के बल पर वे दहियार से शिक्षक और फिर रेलकर्मी तक का सफर तय किए थे। जो गांव के लोगों के लिए प्रेरणा थी। उनको देखकर गाँव के क़ई युवाओं ने नौकरी के लिए संघर्ष करना शुरू किया और उन्हें भी सफलता मिली। पत्नी को बच्चों के परवरिश की चिंता...