जैसलमेर, अक्टूबर 16 -- शाहरुख को फोटो खींचने का बहुत शौक था। हर जगह, हर सफर में मोबाइल कैमरा उसका सबसे करीबी साथी रहता था। 14 अक्टूबर की दोपहर भी जैसलमेर हादसे से पहले उसने मुस्कुराते हुए बस की खिड़की से बाहर झांकते हुए एक फोटो खींची और फैमिली व्हाट्सऐप ग्रुप में भेज दी। शायद उसे अंदाजा नहीं था कि ये उसकी ज़िंदगी की आखिरी तस्वीर साबित होगी। जैसलमेर के ढाबरा गांव के सत्तार खान जब अपने 18 साल के भांजे शाहरुख का नाम लेते हैं, तो आवाज़ कांप जाती है। आंखों से आंसू रुकते नहीं। कहते हैं-"उसे घूमने-फिरने और फोटो लेने का बहुत शौक था। बस में बैठकर उसने कहा था, 'मामा देखो, कैसे जा रहा हूं।' कौन जानता था. वहीं सफर उसकी आखिरी मंज़िल बन जाएगा।" शाहरुख, अपनी चचेरी बहन को दवा दिलाने के लिए ढाबरा से जैसलमेर गया था। शाम को लौटते वक्त उसने स्लीपर बस पकड़ी। ...