गोरखपुर, नवम्बर 5 -- गोरखपुर, नीरज मिश्र। मां को हुए संक्रमण की वजह से मासूमों की आंखों की रोशनी छिन रही है। एक साल में जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित 50 से अधिक मासूम इलाज के लिए एम्स में आए हैं। इन मरीजों की उम्र छह माह से लेकर 10 साल तक है। जांच में बीमारी की दो वजह सामने आई है। पहली गर्भावस्था के दौरान मां को होने वाला संक्रमण, जिसे टॉर्च सिंड्रोम (विभिन्न संक्रमणों का समूह) कहा जाता है और दूसरी अनुवांशिक। जांच में करीब 88 प्रतिशत मासूमों की मां को गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस, रूबेला, चिकनपॉक्स या हर्पीस संक्रमण की हिस्ट्री मिली। इसकी वजह से गर्भस्थ शिशु की आंखों का विकास नहीं हो पाया। ऐसे मासूमों में जन्मजात या कुछ दिनों बाद ही मोतियाबिंद विकसित हो गया। जबकि करीब 10 से 12 फीसदी मासूम ऐसे परिवार से हैं, जिनमें अनुवांशिक रूप से...