गौरीगंज, मई 10 -- अमेठी। ए मां तेरी सूरत से बढ़कर भगवान की सूरत क्या होगी? यह कथन साकार किया है जिले के एडीएम अर्पित गुप्ता की मां बसंती देवी ने। पति की असामयिक मृत्यु के बाद टूटी हुई बसंती देवी ने अपने संघर्ष और इच्छा शक्ति से बेटे का भविष्य गढ़कर उसे अफसर बना दिया। एडीएम अर्पित गुप्ता की मां बसंती देवी के संघर्षों की कहानी बिल्कुल फिल्मी है। 1988 में पति की मौत के बाद उनके कंधों पर छह बच्चों की जिम्मेदारी आ गई। इकलौता बेटा वह भी एकदम मासूम। परिवार में कमाई का कोई जरिया नहीं था। पति के जाते ही घर की बिजली काट दी गई। विभाग ने घर के बकाया 36 रुपये के बिल में से आधे रुपये मांगे थे, उस समय वह भी परिवार के पास नहीं थे। मुसीबतें शुरू हुई तो आती ही चली गई। अपने लोगों ने भी मुंह मोड़ना शुरू कर दिया और सारे बिस्तर बाहर फेंक दिए गए। सात लोग 8 बाई 10...