नई दिल्ली, जुलाई 22 -- दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि शादीशुदा जोड़ों में झगड़े के बाद पति या उसके माता-पिता द्वारा बच्चे की कस्टडी लेना IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा 498-ए के तहत क्रूरता या उत्पीड़न नहीं माना जाएगा। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने यह फैसला उस बुजुर्ग दंपति की याचिका पर हुई सुनवाई करते हुए दिया, जो अपने खिलाफ दर्ज पुलिस केस को रद्द करवाना चाहते थे। जज ने इस मामले को अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ किसी महिला द्वारा धारा 498ए के दुरुपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने महिला के दावे को खारिज कर दिया। जस्टिस कृष्णा ने 28 जून को जारी अपने 43 पेज के आदेश में कहा, 'वैवाहिक मतभेदों के कारण पति-पत्नी के बीच अलगाव हुआ और बच्चे की कस्टडी उसके पिता और दादा-दादी (याचिकाकर्ता...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.