घाटशिला, जनवरी 30 -- कालचित्ति पंचायत के रामचन्द्रपुर सबर बस्ती के रहने वाले जुंआ सबर का निधन 40 वर्ष में ही हो गया। अंतिम यात्रा में उनकी अर्थी को बेटी, पत्नी और गांव की अन्य औरतों ने कंधा दिया। वे शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे, जहां उनकी 14 वर्षीय पुत्री ने मुखाग्नि दी। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब महिलाएं अर्थी को कंधा दे रही हैं। रामचंद्रपुर सबर बस्ती की बेटियों ने पुरानी मान्यता को तोड़ते हुए पिता की अर्थी को तोड़ते हुए पिता की अर्थी को न केवल कंधा दिया, बल्कि श्मशान तक जाकर मुखाग्नि भी दी और अंतिम संस्कार भी किया। रूंधे गले और बहते आंसुओं के बीच पुरुष प्रधान समाज में बेटियों और महिलाओं ने एक उदाहरण पेश कर बता दिया कि बेटा-बेटी समान होते हैं। हालांकि इस घटना के गांव में पलायन का दर्द भी मौजूं है। दीगर बात यह है कि रोजी-रोजगार के लिए ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.