नई दिल्ली, अप्रैल 27 -- कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि नशे की हालत में नाबालिग का स्तन छूने की कोशिश करना पॉक्सो एक्ट के तहत दुष्कर्म की कोशिश नहीं है। यह सिर्फ यौन अपराध की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति बिस्वरूप चौधरी की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट की ओर से पॉक्सो के तहत एक आरोपी को दोषी ठहराने और सजा सुनाए जाने के आदेश को निलंबित करते हुए यह टिप्पणी की। निचली अदालत ने आरोपी को 12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। खंडपीठ ने यह भी कहा कि पीड़िता की मेडिकल जांच से यह स्पष्ट नहीं होता कि आरोपी ने दुष्कर्म किया या दुष्कर्म का प्रयास किया। बेंच ने कहा कि ऐसे सबूत पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 10 के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप को सही ठहरा सकता है लेकिन बलात्कार की कोशिश के अपराध का संकेत नहीं देते। खंडपीठ ने कहा कि अग...