नई दिल्ली, जून 28 -- एआई के आने से कितनी सहूलियत हो गई है न। हमारे वह काम अब चुटकियों में हो जाते हैं, जिनके लिए पहले हम यहां-वहां भटकते थे। पहले मेले में जाते थे तो एक तसवीर खींचने वाली दुकान मिलती थी। नया जोड़ा हो या पूरा परिवार, झील वाले बैकग्राउंड के सामने बड़े शौक से फोटो खिंचवाकर आता था। अब घर की दीवार के आगे खड़े होकर एक क्लिक करो और बैकग्राउंड आराम से एआई से बना लो। सबको यही लगेगा कि आप कहीं बाहर घूमने गई हैं। पर सोचो तो यह उस तस्वीर खींचने वाले के लिए कितना मायूसी भरा होगा, जो शायद अब राह ताकते अपना सामान समेटकर किसी और धंधे को निकल पड़ा। एआई यहीं तक सीमित नहीं है। इसका दायरा पलक झपकने के साथ बढ़ता दिख रहा है। कभी न्यूज चैनल में एआई एंकर नजर आती है, तो कभी किसी को घर बैठे पता चलता है कि अब उसकी नौकरी नहीं रही क्योंकि कंपनी ने उसक...
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