बोधगया, सितम्बर 11 -- धर्मारण्य पिंडवेदी पर त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने यहीं पिंडदान कर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की थी। माना जाता है कि यहां किए गए त्रिपिंडी श्राद्ध से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है। पितृपक्ष मेला के अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में पिंडदानी बोधगया पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की आस्था और सुविधा को ध्यान में रखते हुए बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) ने महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए व्यापक तैयारी कर रखा है। बुधवार को बीटीएमसी की सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी व केयर टेकर भिक्षु डॉ दीनानंद ने मंदिर परिसर के अंदर पिंडदान स्थल का मुआयना किया। मंदिर के दक्षिणी ओ...
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