रांची, मार्च 27 -- रांची, वरीय संवाददाता। धर्म की रक्षा करने वाला व्यक्ति स्वयं धर्म की रक्षा का पात्र बनता है। यह एक पारस्परिक संबंध है, जहां धर्म की रक्षा करने से व्यक्ति को भी धर्म की रक्षा मिलती है। यह सार था नाटक धर्मो रक्षति रक्षितः का, जिसकी प्रस्तुति आड्रे हाइस में गुरुवार की शाम हुई। युवा नाट्य संगीत अकादमी एवं चंद्रावती सह कांति कृष्ण फाउंडेशन की ओर से छोटानागपुर राष्ट्रीय नाट्यस महोत्सव एवं कांति कृष्ण सम्मान समारोह के उद्घाटन अवसर पर इस नाटक की प्रस्तुति हुई। झारखंड फिल्म एंड थियेटर अकादमी के निर्देशक राजीव सिन्हा ने इस नाटक का निर्देशन किया। नाटक में महाभारत के अलग-अलग खंडों को सम्मिश्रित किया गया, जिसमें द्रौपदी के चीरहरण से लेकर भीष्म पितामह के कृष्ण के साथ अंतिम वार्तालाप के माध्यम से धर्म की रक्षा का पाठ समझाया गया। इससे ...