नीरज शुक्ला, सितम्बर 15 -- बाराबंकी के सिद्धौर गांव में स्थित सिद्धेश्वर महादेव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। महाभारत ग्रंथ में भी इस मंदिर का जिक्र है। वनवासकाल में पांडवों ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। तब यह क्षेत्र घना जंगल हुआ करता था। कालांतर में काशी विश्वनाथ में तैनात डिप्टी कलेक्टर हरिशरण दास ने इस शिवलिंग को सपने में देखा और ढूंढ़ते हुए यहां पहुंच गए। बाबा के दर्शन के बाद नौकरी छोड़ दी और सन्यास ग्रहण कर महादेव की भक्ति में लीन हो गए। आज भी इनकी समाधि मंदिर परिसर में स्थित है। सिद्धेश्वर महादेव मंदिर कमेटी के प्रबंधक राजेंद्र वर्मा, महंत अनिल पुरी व मंदिर के शिलालेख के मुताबिक महाभारत ग्रंथ में वर्णित बनवास काल में पांडवों की ओर से स्थापित यह शिवलिंग है। कालांतर में काशी विश्वनाथ में डिप्टी कलेक्टर हरिशरण दास को स्वप्न में ...