प्रयागराज, मार्च 6 -- प्रयागराज वरिष्ठ संवाददाता प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था और आर्थिकी का संगम भी देखने को मिला है। समृद्धि के इस संगम में समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े वंचित समाज ने भी अर्थ अर्जन की डुबकी लगाई है। नदियों में नाव चलाने वाला नाविक समाज इसमें अग्रणी है। किला घाट पर नाव चलाने वाले संजीत कुमार निषाद बताते हैं कि घर में दो बड़ी लड़कियां हैं जिनकी शादी के लिए कब से जतन कर रहे थे लेकिन आर्थिक स्थिति आड़े आ जा रही थी। गंगा मैया की ऐसी कृपा बरसी की महाकुम्भ में नाव चलाकर इतना मिल गया कि अब बिटिया के हाथ भी पीले हो जाएंगे। तीन दशक से बलवंत निषाद की जिंदगी बलुआघाट और किलाघाट के बीच चप्पू चलाते निकल गई लेकिन सिर पर पक्की छत मयस्सर नहीं हो सकी। इस बार महाकुम्भ में त्रिवेणी का ऐसा आशीष मिला कि अब पक्का घर भी बनेगा और नई नाव भी आए...