संवाददाता, फरवरी 13 -- दिव्य-भव्य व डिजिटल महाकुम्भ का पांचवां प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा। इस पुण्य बेला में पूर्ण हुआ पुरातन परंपरा और जीवन मूल्यों का कल्पवास। एक माह के कल्प का अल्प प्रवास पूरा कर कल्पवासी विदा होने लगे। माघी पूर्णिमा पर कल्पवासियों ने ब्रह्ममुहूर्त में डुबकी लगाने के बाद पूर्वजों को नमन किया। क्षौर कर्म के साथ तीर्थ पुरोहितों के सान्निध्य ने हवन-पूजन कर यथाशक्ति अन्न, वत्र, द्रव्य आदि दान किया। हालांकि मेला क्षेत्र में साधन उपलब्ध न होने के कारण कुछ कल्पवासी अभी एक-दो दिन शिविर में रुकेंगे। वहीं कुछ कल्पवासी त्रिजटा स्नान करके प्रस्थान करेंगे। शिविर से गृहस्थी ले जाने के लिए कल्पवासियों के जो वाहन घर से मंगाए थे वह शहर की सीमा पर रुके रहे। मेले से वहीं कल्पवासी घर जा सके जिनके वाहन पहले से मेले में आ गए थे।दुर्लभ ...