नई दिल्ली, जुलाई 25 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी लड़की से महज मित्रता का यह मतलब नहीं कि कोई पुरुष उसके साथ उसकी मर्जी के बिना शारीरिक संबंध बना सकता है। कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की एक पीठ ने आरोपी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने पीड़िता के साथ सहमति से संबंध होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि मामला नाबालिग लड़की से जुड़ा है, इसलिए कथित सहमति भी वैध नहीं मानी जाती है। --- शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों से पता चली पीड़िता की उम्र कोर्ट ने आदेश में कहा कि केवल एक लड़की किसी लड़के से मित्रता करती है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि लड़का उसकी सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बना सकता है...