प्रयागराज, अक्टूबर 6 -- प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि महज़ एक मैसेज पोस्ट करने से भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य से संबंधित है) के तहत अपराध नहीं बनता। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संतोष राय ने ऐसे ही मामले में आरोपी मेरठ के साजिद चौधरी की जमानत मंजूर करते हुए की है। कोर्ट ने कहा कि बीएनएस की धारा 152 नई धारा है जिसमें कठोर सज़ा का प्रावधान है और आईपीसी में इसके अनुरूप कोई धारा नहीं थी इसलिए बीएनएस की धारा 152 को लागू करने से पहले उचित सावधानी और एक तर्कसंगत व्यक्ति के मानक अपनाए जाने चाहिए क्योंकि बोले गए शब्द या सोशल मीडिया पर पोस्ट भी भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं, जिसकी संकीर्ण व्याख्या नहीं की जानी चाहिए, जब त...