आरा, दिसम्बर 1 -- कोईलवर, एक संवाददाता। भगवान श्रीराम को जीवन में कभी सुख नहीं मिला पर उन्होंने मर्यादा को कभी नहीं छोड़ा। रामायण में कैकयी की गलत प्रेरणा ने राम को 14 वर्ष का कठिन वनवास भोगने को मजबूर किया। लक्ष्मी प्रपन्नाचार्य जीयर स्वामी जी महाराज ने पचैना गांव में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान अपने प्रवचन में भक्तों को संबोधित करते हुए कहीं। राजा और मंत्री के संबंध पर उन्होंने कहा कि मंत्री वही श्रेष्ठ है जिसकी सलाह से समाज और राष्ट्र का कल्याण हो। ईश्वर के विभिन्न रूपों की चर्चा करते उन्होंने कहा कि भगवान त्रेता युग में राम के रूप में, द्वापर युग में कृष्ण के रूप में, सतयुग में नरसिंह के रूप में कल्याण किया है। उन्होंने कहा कि शक्तियां भले अलग दिखें, लेकिन ब्रह्म स्वरूप में कोई भेद नहीं होता। भेद करना अज्ञान का लक्षण ह...