रामगढ़, सितम्बर 5 -- रामगढ़, निज प्रतिनिधि श्री दिगंबर जैन समाज के दोनों जिनालयों में जैन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक अनुष्ठान दशलक्षण महापर्व के तहत शुक्रवार को धूमधाम से उत्तम अकिंचन्य की पूजा हुई। इस मौके पर विद्वान पंडित निवेश शास्त्री ने बताया कि ममत्व के परित्याग को अकिंचन्य कहते हैं। अकिंचन्य का मतलब होता है मेरा कुछ भी नहीं है। अपने उपकरणौ और शरीर से भी निर्मत्व होना ही उत्तम अकिंचन्य धर्म है। क्योंकि कई बार सबका त्याग करने के बाद भी उस त्याग के प्रति महत्व हो सकता है । अकिंचन्य धर्म में उस त्याग के प्रति होने वाले ममत्व का त्याग भी कराया जाता है। अकिंचन्य धर्म के अवसर पर स्वर्णमयी जलाभिषेक का सौभाग्य योगेश-निशा सेठी परिवार, अशोक-सुनील सेठी परिवार, जीवनमल- जम्बू पाटनी परिवार, राजेंद्र-राजेश चूड़ीवाल परिवार, शांतिलाल-राकेश पांड्या पर...