गिरडीह, जून 29 -- गिरिडीह। सिरसिया स्थित श्री कबीर ज्ञान मंदिर में शनिवार को सद्गुरु मां ज्ञान ने कहा कि मन की निर्मलता सबसे बड़ा धर्म है। बाहरी धार्मिक अनुष्ठान तभी सार्थक होते हैं, जब मन सच्चाई, प्रेम और करुणा से परिपूर्ण हो। अतः सच्चा धर्म अपने मन को निर्मल बनाना है क्योंकि निर्मल मन में ही ईश्वर का वास होता है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने कहा है कि जाको विधि दारुन दुःख देही, ताकी मति पहिले हर लेहीं। अर्थात् 'जिसको विधाता दारुण दुःख देना चाहता है, उसकी बुद्धि का हरण पहले ही कर लेता है। कह कि जाको विधि पूरन सुख देहीं, ताकी मति निर्मल कर देहीं। अर्थात् 'जिसको विधाता पूर्ण सुख देना चाहता है, उसकी बुद्धि को निर्मल बना देता है।

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