शाहजहांपुर, अक्टूबर 28 -- शाहजहांपुर, वरिष्ठ संवाददाता। शाम का समय है। घाट किनारे हवा में घी के दीयों की लौ टिमटिमा रही है। गन्ने से बने छोटे से मंडप के नीचे मिट्टी के दीये रखे हैं। उन पर लाल कपड़ा लिपटा है। पास ही ईंख, नारियल, सुपारी और ठेकुआ के प्रसाद रखे हैं। महिलाओं के समूह से एक ही स्वर गूंज रहा है, पूरी हो गइल मइया मुराद हमार...। यह दृश्य सिर्फ पूजा का नहीं, आस्था की परिणति का प्रतीक है। यह उस व्रती की खुशी का क्षण है जिसकी मन्नत पूरी हो चुकी है। गुजरे साल लोधीपुर घाट पर झंडाकला नालापर के रहने वाले कमलेश यादव की पत्नी सीता यादव खड़ी थीं। उन्होंने मकान की मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई। उन्होंने कहा कि जब कोई मन्नत पूरी होती है, तो कोसी भरना मईया को धन्यवाद देने जैसा होता है। यही तो साक्षात प्रमाण है कि मईया ने हमारी पुकार सुन ली। कोस...