सहारनपुर, अगस्त 29 -- दशलक्षण महापर्व के दूसरे दिन जैन धर्म के अनुयायियों ने उत्तम मार्दव धर्म का पूजन-अर्चन कर धर्म लाभ लिया। प्रातःकाल मंदिर में अभिषेक एवं शांति धारा हुई। इसके उपरांत सामूहिक पूजन, आरती एवं भजन कीर्तन आयोजित हुए। सर्राफा बाजार स्थित जैन मंदिर में शुक्रवार को श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर से पधारे रितेश जी ने प्रवचन करते कहा कि मार्दव धर्म का अर्थ है विनम्रता और अहंकार का त्याग। मनुष्य को सदैव सरल और विनम्र बने रहना चाहिए तभी जीवन में सच्चे धर्म का पालन संभव है। कहा कि अहंकार व कठोरता जीवन में दुख और कलह लाती है जबकि विनम्रता से प्रेम, सद्भाव और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि आज की भौतिकवादी जीवनशैली में अहंकार और दिखावा बहुत बढ़ रहा है ऐसे में मनुष्य को विनम्रता का गुण अपनाना समय की आवश्यकता है।इस दौरान...