मेरठ, मई 18 -- हस्तिनापुर। श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर पर चल रहे श्री शांतिनाथ विधान के 14वें दिन शनिवार को भगवान का अभिषेक और शांतिधारा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ नित्य नियम पूजन, अभिषेक और शांतिधारा के साथ किया गया। शांतिधारा यश जैन परिवार द्वारा की गई। आचार्य भाव भूषण जी महाराज ने कहा कि दुख को समझना अति आवश्यक है। ज्ञानी मनुष्य दुख से नहीं घबराता और अज्ञानी मनुष्य दुख न होते हुए भी चिल्लाता रहता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमारा तीसरा नेत्र है। इसके माध्यम से हम आने वाले दुख को समझकर उससे बचने का उपाय निकल सकते हैं। दुख प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आता है। भले ही भगवान महावीर के जीवन को उठाकर देख ले। उनके जीवन में दीक्षा लेते ही कष्ट आने शुरू हो गए थे मगर वो नहीं घबराए और दुखों को समझकर मुक्ति मार्ग को पाया। विधान के 14वें दिन 1...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.